भारत की उद्योग जगत से जुड़ी प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री के साथ हुई बजट पूर्व बैठक में एक महत्वपूर्ण मांग उठाई है,(India Inc Ki Pre-Budget Meeting) जिसमें व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती की आवश्यकता जताई गई है।
पढ़ने से पहले देखें लेख की एक छोटी सी झलक
उद्योग जगत के इन प्रतिनिधियों का मानना है कि अगर आयकर दरों में कटौती की जाती है, तो इससे आम आदमी के पास अधिक डिस्पोजेबल आय होगी, जिससे उपभोक्ताओं की खपत बढ़ेगी और अंततः यह भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाएगा। इसके साथ ही, उद्योग जगत ने ईंधन पर उत्पाद शुल्क (excise duty) में कमी करने, रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने, और अन्य नीतिगत सुधारों की भी सिफारिश की है।
इस बैठक में प्रतिनिधियों ने वैश्विक व्यापार में आई चुनौतियों, खासकर चीन द्वारा अपने उत्पादों को अधिक मात्रा में अन्य देशों में डंप (dumping) करने के कारण भारत में होने वाली समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न होने वाली खाद्य सुरक्षा और मुद्रास्फीति की समस्याओं का भी जिक्र किया गया। इन सभी मुद्दों के बीच, उद्योग जगत ने वित्त मंत्री से इन चुनौतियों से निपटने के लिए योजनाओं और उपायों की मांग की।
वित्त मंत्री से चर्चा में उठाए गए प्रमुख मुद्दे
भारत में आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 को 1 फरवरी को पेश किया जाएगा,(India Inc Ki Pre-Budget Meeting) और इस संदर्भ में यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है। उद्योग संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने अपनी प्रमुख चिंताएं रखीं और उन्होंने सरकार से कुछ ठोस कदम उठाने की अपील की।
बैठक में वित्त मंत्री के साथ वित्त सचिव, DIPAM (डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट) के सचिव, आर्थिक मामलों के सचिव, और भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार समेत अन्य प्रमुख अधिकारी भी उपस्थित थे।
संजिव पुरी, जो CII (भारतीय उद्योग परिसंघ) के अध्यक्ष हैं, ने इस बैठक में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही है, लेकिन दुनिया भर में वैश्विक मंदी और अन्य आर्थिक चुनौतियां भी आ रही हैं। उन्होंने कहा, “हम देख रहे हैं कि विभिन्न देशों में, विशेषकर चीन से भारत में उत्पादों की डंपिंग हो रही है, जिससे भारतीय बाजार में असंतुलन पैदा हो रहा है।
” इसके अलावा, उन्होंने जलवायु आपातकाल को भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया, जिसने खाद्य सुरक्षा और मुद्रास्फीति को प्रभावित किया है। जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों पर असर पड़ता है, जिससे खाद्य सामग्री की कीमतों में वृद्धि हो रही है और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ रहा है।
आयकर दरों में कटौती की आवश्यकता
CII के अध्यक्ष संजीव पुरी ने सरकार से यह अनुरोध किया कि वे व्यक्तिगत आयकर दरों में राहत दें, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी सालाना आय 20 लाख रुपये तक है। उनका कहना है कि इस तरह की कटौती से उपभोक्ताओं के पास अधिक धन होगा, जिससे उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होगी।
इसका परिणाम यह होगा कि बाजार में मांग बढ़ेगी और इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में ताजगी आएगी।(India Inc Ki Pre-Budget Meeting) उन्होंने यह भी कहा कि इस उपाय से सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हो सकती है क्योंकि ज्यादा डिस्पोजेबल आय के साथ लोग अधिक खर्च करेंगे और इससे वाणिज्यिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
इसलिए, CII ने यह सुझाव दिया कि आयकर की दरों को इस तरह से संरचित किया जाए कि उच्च मध्यमवर्गीय परिवारों के पास अधिक धन रहे, ताकि वे अधिक खर्च करें और अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाएं। इस कदम से मांग बढ़ने की संभावना है, जो अंततः भारतीय उत्पादन क्षेत्र और सेवाओं को गति देगी।
ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कमी
इसके अतिरिक्त, CII ने पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में कमी करने की भी सिफारिश की। ईंधन की कीमतों में निरंतर वृद्धि से आम आदमी के खर्चे में वृद्धि हो रही है। अगर सरकार ईंधन पर उत्पाद शुल्क घटाती है, तो यह सीधे तौर पर उपभोक्ताओं की जेब में राहत पहुंचाएगा और इससे उनकी क्रयशक्ति (purchasing power) में सुधार होगा।
पुरी ने कहा कि यदि उत्पाद शुल्क में कमी की जाती है, तो यह एक सकारात्मक चक्र की शुरुआत करेगा, क्योंकि अधिक डिस्पोजेबल आय के साथ लोग अधिक खर्च करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को एक नया impetus मिलेगा।
रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को प्रोत्साहन देना
भारत के उद्योग जगत ने सरकार से यह भी अनुरोध किया कि वे रोजगार-प्रधान क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करें, जैसे परिधान, फुटवियर, पर्यटन, और फर्नीचर आदि। इन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन की क्षमता है और इन क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने से बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकता है।(India Inc Ki Pre-Budget Meeting) FICCI (फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) के उपाध्यक्ष विजय शंकर ने कहा, “इस समय भारत में बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हैं और रोजगार-प्रधान क्षेत्रों का प्रोत्साहन इन युवाओं को रोजगार देने के लिए एक बेहतरीन तरीका हो सकता है।”
MSMEs के लिए सुधार
इसके अलावा, उद्योग संगठनों ने MSMEs (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) के लिए भी सरकार से सुधारों की मांग की है। MSMEs भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं, लेकिन वे कई जटिलताओं का सामना करते हैं, जैसे कि क्रेडिट की कमी, जटिल पंजीकरण प्रक्रियाएं, और टैक्स संबंधी बाधाएं। उद्योग जगत ने सरकार से इन समस्याओं को हल करने के लिए MSMEs के लिए आसान प्रक्रियाएं और कर्ज की सुलभता की व्यवस्था करने का आग्रह किया।
GST सुधार
PHDCCI (फार्मास्यूटिकल्स एंड हेल्थकेयर डिवेलपमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया) के अध्यक्ष हेमंत जैन ने जीएसटी के simplification की आवश्यकता पर भी बल दिया। (India Inc Ki Pre-Budget Meeting)उन्होंने कहा, “GST के कुछ हिस्से व्यापारियों के लिए जटिल हैं, और इसे सरल बनाना चाहिए ताकि यह और भी अधिक प्रभावी हो सके और व्यापारियों के लिए इसके अनुपालन में कठिनाइयां कम हो।”
निष्कर्ष
भारत की उद्योग जगत ने 2025-26 के केंद्रीय बजट से उम्मीद जताई है कि सरकार विभिन्न सुधारों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को गति देगी, जिससे अधिक रोजगार, बेहतर खपत, और आर्थिक विकास हो सके। व्यक्तिगत आयकर दरों में कटौती, ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कमी, MSMEs के लिए सुधार, और रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने जैसे कदमों से भारत की अर्थव्यवस्था को न केवल तेजी से बढ़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ाएगा।
Read More Like this -: Jio Unlimited 5G Data Gifting Voucher – Latest News 2025