Ram Mandir Udghatan Date: बर्षों बाद हिन्दुओं का सपना पूरा हो रहा है और श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या में रामलला का विशाल मंदिर अब पूरा होने को है। अब मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का समय ज्यादा दूर नहीं है। खबरे हैं की इस समारोह में पाँच हजार से भी ज्यादा साधू रामलला के दर्शन करने आने वाले हैं।
अगर आपको भी इस ऐतिहासिक दिन का गवाह बनना है तो, मंदिर के उद्घाटन, अयोध्या में घूमने की अन्य जगहों की जानकारी आगे विस्तार से बताई गई हैं –
कब होगा अयोध्या-मंदिर का उद्घाटन:
मंदिर बनने का कार्य काफी से पूरा किया जा रहा है, जिसमें छोटी से छोटी बातों का भी ध्यान रखा जा रहा है। अनुमान है की आधी जनवरी के आस-पास मंदिर पूरी तरह से तैयार होगा। आपको बता दें की मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम के लिए 22 जनवरी 2024 की डेट फिक्स की गई है।
अयोध्या के प्रमुख स्थल की जानकारी:
इस समय तो श्री राम-मंदिर ही सबसे ज्यादा चर्चा में है, लोग सामने से इसकी एक घलक पाने के लिए धैर्य नहीं रख पा रहे हैं। लेकिन आपको बता दें की अयोध्या में इसके अलावा भी काफी साड़ी अच्छी-अच्छी घूमने की जगहें हैं, अगर आप अयोध्या आएं तो यहाँ जरूर घूमें –
घग्गर – बुजुर्ग बताते हैं की सरयू नदी में नहाने से हमें अनजाने में हुए बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का आशीर्वाद मिलता है। लोग दूर-दूर से इस नदी में नहाने आते हैं। राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा के दिन या आस-पास के दिनों में आपको यहाँ भी काफी भीड़ देखने को मिल सकती है।
सरयू नदी के तट पर गुप्तगार घाट भी है, जिसे लोग घग्गर के नाम से भी जानते हैं। यह वही स्थान है जहाँ लीला समाप्ति के बाद भगवान श्री राम द्वारा जल-समाधी ली गई थी और फिर वे अपने धाम (बैकुंठ) को लौट गए थे।
फैजाबाद का सबसे ऊँचा स्मारक – बहु बेगम का मकबरा फैजाबाद का सबसे ऊँचा स्मारक है, और लोग इसको देखने भी आते रहते हैं। इसे पूर्व का ताजमहल कहा जाता है। नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी और रानी को समर्पित इस मकबरे के ऊपर से पूरा शहर बड़ी आसानी से नजर आता है।
इसके अलावा राम मंदिर के दर्शन के बाद आप कनक भवन, हनुमान गढ़ी, राजद्वार मंदिर, आचार्यपीठ श्री लक्ष्मण किला, नागेश्वर नाथ मंदिर, श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मंदिर, राघवजी का मंदिर, सप्तरी, जैन मंदिर आदि स्थानों पर जा सकते हैं।
यहाँ प्रत्येक मंदिर की अपनी अलग-अलग कहानी है जो, हमारे पूर्वजों की याद और ईश्वर की उपस्थिति के प्रमाण के रूप में हमारे बीच है।
~ जय सियाराम 🙂